शेर जैसा जिगरा चाहिऐ हमको हाथ लगाने मैं !!
तेरे सर पर जिसका हाथ है छोटे हम उसके भी बाप हैं
मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना !!
तड़प रहे हैं वो जिन्हें हासिल नहीं हैं हम।.
हमने तो जन्म ही कातिलो की बस्ती में लिया हैं..!!
کچھ دیر کی خاموشی ہے پھر شور آئے گا کچھ دیر کی خاموشی ہے پھر شور آئے گا
बुलंदी से कभी ज़रूरों का अंदाज़ा नहीं होता।.
“ہم اپنی محفل خود بناتے ہیں، دوسروں کی محفلوں سے ہمیں کوئی دلچسپی نہیں۔”
بے وقت، بے وجہ، بے حساب مسکرا دیتا ہوں بے وقت، بے وجہ، بے حساب مسکرا click here دیتا ہوں
पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हूँ !!
हम वहां खड़े होते हैं जहां मैटर बड़े होते हैं..!
बहुत संभल कर चलना है, इस रंग बदलती दुनिया में यहां, पलकों पर बैठाया जाता है, नजरों से गिराने के लिए!!
ये हमारा दिल है तेरे शहर का अख़बार नहीं..!
ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੇ ਵਰਗੇ ਬਦਮਾਸ਼ ਲਈ ਇੱਕ ਖਲਨਾਇਕ ਹਾਂ!